International Journal of Innovative Research in Engineering & Multidisciplinary Physical Sciences
E-ISSN: 2349-7300Impact Factor - 9.907

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Online Scholarly International Journal Since 2013

Call for Paper Volume 11 Issue 6 November-December 2023 Submit your research for publication

रमाकान्त शुक्ल कृत ‘भाति मे भारतम्’ में मुक्तक काव्य का उद्भव एवं विकास: एक अध्ययन

Authors: बिनाता दास, सुमित शर्मा

Country: India

Full-text Research PDF File:   View   |   Download


Abstract: ऋग्वेद विश्व का सर्वप्रथम मुक्तक संग्रह माना जाता है । प्राचीन वैदिक साहित्य, पालि और प्राकृत साहित्य में वे तथ्य उपलब्ध होते हैं, जो आगे चलकर मुक्तकों और विशेषतः शृंगारी मुक्तकों के विकास में कड़ियां बनते हैं । ऋग्वेद संहिता में उषा, पर्जन्य, सहित आख्यानी आदि के प्रति कौतूहल भरी, श्रद्धा पूरित, भावसिक्त कविवाणी को अनदेखा कर भी दें पर अथर्ववेद संहिता के उन सूक्तों को कैसे भुलाया जा सकता है, जो किसी स्नेह के प्यासे प्रेमी की बात बताते हैं, प्रिया को प्राप्त करने के लिए आतुरता प्रकट करते हैं - काम की बड़ी प्रतिष्ठा थी ‘‘कामस्तदग्रे समवर्तत मनसो रेतः प्रथमं यदासीत् अथर्ववेद का प्रणयी प्रेमिका का यह चित्र और इसके रंग, प्राकृत तथा संस्कृत मुक्तकों के चटक रंग नहीं हैं, इनकी ऋजुता, सरलता और अकृत्रिमता, वैदिक युग की निश्चल प्रवृति का प्रतिबिम्ब है ।

Keywords:


Paper Id: 230342

Published On: 2023-10-21

Published In: Volume 11, Issue 5, September-October 2023

Cite This: रमाकान्त शुक्ल कृत ‘भाति मे भारतम्’ में मुक्तक काव्य का उद्भव एवं विकास: एक अध्ययन - बिनाता दास, सुमित शर्मा - IJIRMPS Volume 11, Issue 5, September-October 2023.

Share this