निराला के कथा साहित्य में सामाजिक चेतना का विकास
Authors: चेरुकूरि हरिबाबु
Country: India
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Abstract:
सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" हिंदी साहित्य के प्रमुख साहित्यकारों में से एक हैं, जिनके कथा साहित्य में समाज की गहरी समझ और संवेदनशीलता दिखाई देती है। उनके कथा साहित्य में सामाजिक चेतना का विकास स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। निराला के कथा साहित्य में समाज के विभिन्न वर्गों के संघर्ष, गरीबी, शोषण, अन्याय और सामाजिक असमानताओं को जीवंत चित्रण मिलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों और रूढ़िवादिता पर प्रहार किया और एक समतामूलक समाज की कल्पना प्रस्तुत की।
निराला की कहानियाँ और उपन्यास मानवीय संवेदनाओं और समाज के निम्न वर्ग के प्रति सहानुभूति को उभारते हैं। उनकी रचनाओं में पात्रों के जीवन संघर्ष, उनकी पीड़ा और उनके सपनों का प्रभावशाली चित्रण किया गया है, जो पाठकों को सामाजिक मुद्दों पर सोचने के लिए प्रेरित करता है। निराला की कहानियाँ जैसे लिली और चतुरी चमार सामाजिक चेतना के अनमोल उदाहरण हैं, जिनमें उन्होंने निम्न वर्ग के संघर्ष और उनके शोषण को प्रमुखता से उजागर किया है।
निराला का साहित्य समाज में बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित करता है और पाठकों को एक नए समाज की ओर उन्मुख करता है, जहाँ समानता और मानवता के मूल्य प्रधान हों। इस प्रकार, निराला के कथा साहित्य में सामाजिक चेतना का विकास न केवल साहित्यिक योगदान है, बल्कि समाज को जागरूक बनाने का प्रयास भी है।
Keywords: निराला, सामाजिक चेतना, कथा साहित्य, समाज सुधार, हिंदी साहित्य
Paper Id: 231694
Published On: 2024-11-26
Published In: Volume 12, Issue 6, November-December 2024
Cite This: निराला के कथा साहित्य में सामाजिक चेतना का विकास - चेरुकूरि हरिबाबु - IJIRMPS Volume 12, Issue 6, November-December 2024.